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| बेंगलुरु लालबाग में 3 अरब साल पुरानी चट्टान |
बेंगलुरु के दिल में मौजूद 3 अरब साल पुरानी चट्टान: भारत की सबसे पुरानी धरती का जीवित गवाह
ग्राउंड रिपोर्ट | 2025
बेंगलुरु, कर्नाटक —
जिस शहर को आज दुनिया India’s Silicon Valley के नाम से जानती है, उसी बेंगलुरु के बीचों-बीच एक ऐसी विरासत मौजूद है, जो न किसी राजा की बनाई हुई है, न किसी सभ्यता की—बल्कि खुद धरती के जन्मकाल की कहानी सुनाती है।
लालबाग बॉटनिकल गार्डन (Lalbagh Botanical Garden) में स्थित यह चट्टान लगभग 3 अरब साल (3 Billion Years) पुरानी मानी जाती है।
आज जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्पेस मिशन और टेक्नोलॉजी सुर्खियों में हैं, उसी समय यह प्राचीन चट्टान अचानक दुनियाभर में चर्चा का विषय बन गई है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, यह चट्टान उस दौर की है जब न तो इंसान था, न पेड़-पौधे और न ही डायनासोर।
आखिर क्या है यह 3 अरब साल पुरानी चट्टान?
भूवैज्ञानिकों के अनुसार, यह चट्टान Peninsular Gneiss Formation का हिस्सा है—जो भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे प्राचीन भूगर्भीय संरचनाओं में से एक मानी जाती है।
वैज्ञानिक तथ्य:
* अनुमानित उम्र: 3,000 मिलियन वर्ष
* पृथ्वी की शुरुआती crust formation के समय की
* जब न पेड़-पौधे थे, न जानवर, न इंसान
* ऑक्सीजन रहित वातावरण के दौर की चट्टान
विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसी चट्टानें दुनिया में बहुत कम जगहों पर पाई जाती हैं, इसी प्रकार की चट्टानें ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में ही मिलती हैं।
यानी भारत के पास एक ऐसा प्राकृतिक खजाना है, जो सीधे पृथ्वी के इतिहास से जुड़ा हुआ है।
अचानक क्यों ट्रेंड कर रही है यह चट्टान?
पिछले कुछ हफ्तों में सोशल मीडिया पर Lalbagh की इस चट्टान की तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हुए हैं।
इसके बाद:-
* Google पर “3 billion year old rock Bengaluru” सर्च ट्रेंड करने लगा
* विदेशी टूरिस्ट और साइंस एक्सपर्ट लालबाग पहुंचने लगे
* स्कूल-कॉलेज के स्टूडेंट्स इसे Live Geology Lab की तरह देखने आने लगे
कई विदेशी विज़िटर्स का सवाल एक ही था— “इतनी पुरानी धरती एक आधुनिक महानगर के बीचों-बीच कैसे सुरक्षित बची रह गई?”
वैज्ञानिकों के लिए क्यों बेहद खास है यह चट्टान?
भूवैज्ञानिकों का मानना है कि यह चट्टान कई बड़े रहस्यों की चाबी है:
* पृथ्वी के शुरुआती वातावरण की जानकारी
* महाद्वीपों के निर्माण की प्रक्रिया
* भारत की भूगर्भीय स्थिरता (Geological Stability)
* भविष्य के मिनरल और क्लाइमेट रिसर्च के संकेत
एक वरिष्ठ भूवैज्ञानिक ने बताया - “अगर यह चट्टान बोल सकती, तो यह धरती के जन्म से लेकर आज तक का पूरा इतिहास सुना देती।”
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| भारत की सबसे पुरानी भूगर्भीय संरचना |
सरकार और प्रशासन का क्या कहना है?
इस बढ़ती चर्चा के बाद कर्नाटक सरकार और बेंगलुरु प्रशासन ने भी इसे गंभीरता से लेना शुरू किया है।
संभावित कदम:
* Geo-Heritage Site घोषित करने की प्रक्रिया
* इंफॉर्मेशन बोर्ड और साइंटिफिक विवरण
* स्कूल टूर और एजुकेशनल प्रोग्राम
* इंटरनेशनल टूरिज्म मैप पर प्रमोशन
अगर ऐसा होता है, तो यह भारत के लिए Science Tourism का नया केंद्र बन सकता है।
खतरा भी है: संरक्षण की कमी
हालांकि विशेषज्ञ चेतावनी भी दे रहे हैं:
* लोग चट्टान पर चढ़ जाते हैं
* नाम लिखने और नुकसान पहुंचाने की घटनाएं
* प्रदूषण और शहरी कंपन का असर
* उचित फेंसिंग और निगरानी की कमी
अगर समय रहते संरक्षण नहीं हुआ, तो यह अनमोल विरासत खतरे में पड़ सकती है।
भारत के लिए इसका महत्व
यह चट्टान सिर्फ पत्थर नहीं, बल्कि:
* भारत की सबसे प्राचीन धरती का प्रमाण
* छात्रों के लिए जीवित पाठ्यपुस्तक
* वैज्ञानिकों के लिए रिसर्च ट्रेज़र
* भारत की वैश्विक पहचान
यह साबित करता है कि भारत सिर्फ इतिहास ही नहीं, धरती के जन्म का भी गवाह है।
निष्कर्ष
बेंगलुरु की यह 3 अरब साल पुरानी चट्टान हमें यह याद दिलाती है कि जहाँ एक ओर भारत AI, स्पेस और टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ रहा है,
वहीं बेंगलुरु की यह 3 अरब साल पुरानी चट्टान हमें याद दिलाती है कि—“भविष्य की दौड़ में शामिल होने से पहले, हमें अपने अतीत की रक्षा करनी होगी।”
अब जरूरत है:
* जागरूकता
* संरक्षण
* और सम्मान
क्योंकि ऐसी धरोहरें दोबारा नहीं बनतीं।
FAQs
Q1. बेंगलुरु की यह चट्टान कितनी पुरानी है?
लगभग 3 अरब साल पुरानी मानी जाती है।
Q2. यह चट्टान कहाँ स्थित है?
लालबाग बॉटनिकल गार्डन, बेंगलुरु में।
Q3. यह चट्टान क्यों महत्वपूर्ण है?
यह पृथ्वी के शुरुआती निर्माण काल की गवाही देती है।
Q4. क्या इसे Geo-Heritage Site बनाया जाएगा?
सरकार इस पर विचार कर रही है।

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